प्राकृतिक खेती/NATURAL FARMING/गौ आधारित प्राकृतिक खेती

दोस्तों समय बदल रहा है और समय के साथ-साथ खेती के तरीके भी बदल रहे है, प्राकृतिक खेती/NATURAL FARMING/गौ आधारित प्राकृतिक खेती की आवश्यकता को देखते हुए इसके महत्व को समझेगें और छोटे रकबे से ही सही पर शुरूआत तो करेगें जरूर।
प्राकृतिक खेती, खेती की वह पद्धति जो निम्न सिंद्धांतों पर आधारित है-
- कोई जुताई नहीं की जाए
- कोई उर्वरक उपयोग नहीं किया जाए
- कोई कीटनाशक/शाकनाशी का प्रयोग किया जाए
- कोई निंदाई गुड़ाई नहीं की जाए
उक्त बिन्दुओं को ध्यान में रखते हुए हम यह समझ सकते है कि प्राकृतिक खेती/NATURAL FARMING/गौ आधारित प्राकृतिक खेती में कृषि व्यय (cost of cultivation) ना के बराबर होती है। प्राकृतिक खेती में पौधे के विकास के लिए एवं कीट नियंत्रण में निम्न उपाय किए जाते हैं-
पौधे के विकास के लिए-
जीवामृत – जीवामृत बनाने के लिए 200 ली पानी ले ,देशी गाय का गोबर 10 कि॰ग्रा॰, देशी गाय का गोमूत्र 10ली ,गुड़ 2कि॰ग्रा॰, मूंग /उर्द का बेसन 2कि॰ग्रा॰, मुट्ठी भर पेड़ के नीचे की मिट्टी ले। सभी सामग्री को एक ड्रम में मिला ले एवं दिन मे दो बार लकड़ी की सहायता से घुमाएँ । 48 घंटे बाद छान कर फसल में प्रयोग करें। जीवामृत से पौधे को पोषक तत्वों की पूर्ति होती है।
- पहला छिड़काव बोनी के 1 महीने बाद 100ली पानी में 5ली जीवामृत मिला कर 1 एकड़ में प्रयोग करें।
- दूसरा छिड़काव 21 दिन बाद 150ली पानी में 10ली जीवामृत मिला कर प्रयोग करें।
- तीसरा छिड़काव 21 दिन बाद उपरोक्तानुसार करें।
- चौथा छिड़काव 21 दिन बाद उपरोक्तानुसार करें।
बीजामृत – बीजामृत बनाने के लिए 20 ली पानी ले ,देशी गाय का गोबर 05 कि॰ग्रा॰, देशी गाय का गोमूत्र 05 ली, चूना 250 ग्राम, मुट्ठी भर खेत की मिट्टी ले। सभी सामग्री को एक ड्रम या बड़े बर्तन में मिला ले एवं दिन मे दो बार लकड़ी की सहायता से घुमा कर मिला कर 24 घंटे के तक रखना है। बीजामृत से बीजों का उपचार करें।
घन जीवामृत – घन जीवामृत बनाने के लिए देशी गाय का गोबर 100 कि॰ग्रा॰, देशी गाय का गोमूत्र 10 ली, मूंग/उर्द का बेसन 2कि॰ग्रा॰, गुड़ 01 कि॰ग्रा॰, मुट्ठी भर खेत की मिट्टी ले। सभी को मिला कर 24 घंटे के लिए रख दें। उसके बाद मिश्रण को छाया में सुखा ले एवं 6 महीने में खेतों मे उपयोग कर लें। घन जीवामृत 100 किलो प्रति एकड़ की दर से बोनी के समय प्रयोग करें।
कीट नियंत्रण हेतु उपाय- नीमास्त्र , ब्रम्हास्त्र, अग्निअस्त्र का प्रयोग कीट नियंत्रण हेतु करना चाहिए।
प्राकृतिक खेती / NATURAL FARMING/ गौ आधारित प्राकृतिक खेती करने के लिए देशी गाय का होना अति आवश्यक है। मध्य प्रदेश शासन द्वारा प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने हेतु मध्य प्रदेश प्राकृतिक कृषि विकास योजना चलाई जा रही है। इस योजना मे देशी गाय के पालन हेतु चिन्हित पात्र कृषकों को 900 रूपय प्रतिमाह की सहायता राशि देने का प्रावधान है।
योजना मे लाभ पाने हेतु पात्रता की शर्ते निम्न है-
- स्वयं की कृषि भूमि होनी चाहिए।
- कृषक को ऑनलाइन पंजीयन करना होगा।
- कृषक के पास देशी गाय होना अनिवार्य है। गाय का जियो टेगिंग भी होना चाहिए।
- कृषक को कम से कम 01 एकड़ में प्राकृतिक खेती करना होगा ।
मध्य प्रदेश प्राकृतिक कृषि विकास योजना का लाभ लेने हेतु अपने क्षेत्र के कृषि अधिकारी एवं ब्लॉक टेक्नालॉजी मेनेजर BTM (आत्मा परियोजना) से संपर्क कर सकते है।
प्राकृतिक खेती करने हेतु पंजीयन कैसे करें –
कृषक को प्राकृतिक खेती करने एवं अनुदान का लाभ लेने के लिए प्राकृतिक कृषि पद्धति- मध्यप्रदेश पोर्टल http://mpnf.mpkrishi.org में पंजीयन करना अति आवश्यक है। इस पोर्टल के होम पेज पर जाएँ ,लॉग इन (login) पर जाने पर नए किसान पंजीकरण का पेज खुलेगा जिस पर विवरण भर कर पंजीकरण कर सकेगें। प्राकृतिक खेती की अधिक जानकारी नीति आयोग की वेबसाइट http://naturalfarming.niti.gov.in से प्राप्त सकते हैं।
पंजीकरण हेतु निम्न जानकारी की आवश्यकता होगी- मोबाइल नंबर (ओटीपी हेतु ), आधार नंबर, कुल रकबा (हेक्टर में), प्राकृतिक खेती करने हेतु लिया गया रकबा, खसरा नंबर, फसल का नाम , प्राकृतिक खेती आरंभ करने की तारीख, सीजन, फसल की किस्म, गायों की संख्या।
प्राकृतिक खेती और जैविक खेती में मुख्य रूप से सिद्धांतिक अंतर होता है जैसे जुताई, निंदाई -गुड़ाई प्राकृतिक खेती में नहीं कर सकते किन्तु जैविक खेती में कर सकते है। जैविक खेती में आदान के कारण कृषि व्यय में वृद्धि होती है। दोस्तों आशा करती हूँ आपको प्राकृतिक खेती / NATURAL FARMING/ गौ आधारित प्राकृतिक खेती ब्लॉग से कुछ नई जानकारी मिली होगी, अपना समय देने के लिए धन्यवाद।